पोषण की कमी: जब "सब कुछ खाना" या सप्लीमेंट्स भी काफी नहीं होते!
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हैलो दोस्तों! आजकल लोगों में एक आम धारणा है कि अगर वे "थोड़ा-थोड़ा सब कुछ" खा लें या फिर सप्लीमेंट्स ले लें, तो उनके शरीर को सारे पोषक तत्व मिल जाएंगे। लेकिन सच्चाई यह है कि न्यूट्रिशन गैप्स (पोषण की कमी) आज भी एक बड़ी समस्या हैं। आखिर क्यों? आइए, विस्तार से समझते हैं।
1. खाद्य पदार्थों में ही पोषक तत्वों की कमी
आधुनिक खेती में रासायनिक खादों, कीटनाशकों और एक ही फसल को बार-बार उगाने के चलन ने मिट्टी की उर्वरता कम कर दी है। मिट्टी में जिंक, आयरन और मैग्नीशियम जैसे तत्व घटे हैं, जिसका सीधा असर फलों-सब्जियों की पोषण गुणवत्ता पर पड़ा है।
उदाहरण: 70 साल पहले एक सेब में जितना आयरन होता था, आज उसे पाने के लिए आपको 4 सेब खाने पड़ेंगे!
समाधान: ऑर्गेनिक या स्थानीय उत्पादों को प्राथमिकता दें।
2. गलत खानपान की आदतें
"सब कुछ खाना" अक्सर संतुलित आहार नहीं होता। ज्यादातर लोग:
प्रोसेस्ड फूड (पिज़्ज़ा, बर्गर, नमकीन) पर निर्भर रहते हैं।
फाइबर युक्त चीजें (दालें, साबुत अनाज) कम खाते हैं।
पोषक तत्वों को नष्ट कर देने वाले तरीकों से खाना बनाते हैं (जैसे, सब्जियों को बहुत देर तक पकाना)।
नतीजा: विटामिन B12, विटामिन D, कैल्शियम जैसे तत्व शरीर तक पहुँच ही नहीं पाते।
3. शरीर की पोषक तत्व सोखने की क्षमता (Malabsorption)
कई बार आप पौष्टिक खाना खा भी रहे हों, तो भी शरीर उसे अवशोषित नहीं कर पाता। इसके कारण:
पेट की समस्याएँ: गैस, कब्ज़, IBS या लीकी गट सिंड्रोम।
दवाइयाँ: एंटीबायोटिक्स या एसिडिटी की दवाएँ पोषक तत्वों के अवशोषण में बाधा डालती हैं।
उम्र: बढ़ती उम्र के साथ शरीर की पोषक तत्व सोखने की क्षमता घटती है।
4. सप्लीमेंट्स का गलत इस्तेमाल
सप्लीमेंट्स कोई "जादू की गोली" नहीं हैं! गलत तरीके से लेने पर वे फायदे की जगह नुकसान पहुँचाते हैं:
ओवरडोज: विटामिन A या आयरन की अधिकता लिवर को नुकसान पहुँचा सकती है।
गलत कॉम्बिनेशन: कैल्शियम और आयरन एक साथ लेने से शरीर आयरन सोख नहीं पाता।
खराब क्वालिटी: बाजार में मिलने वाले कई सप्लीमेंट्स में फिलर्स भरे होते हैं, जो शरीर के लिए हानिकारक हैं।
5. जीवनशैली से जुड़े कारण
तनाव: लगातार तनाव कोर्टिसोल हार्मोन बढ़ाता है, जो विटामिन C और B कॉम्प्लेक्स को तेजी से खत्म करता है।
नींद की कमी: इससे घ्रेलिन (भूख बढ़ाने वाला हार्मोन) बढ़ता है, जिससे हम अनहेल्दी फूड्स की तरफ ज्यादा आकर्षित होते हैं।
एल्कोहल और धूम्रपान: ये शरीर से विटामिन B, C और फोलेट को बाहर निकाल देते हैं।
6. बढ़ती पोषक तत्वों की जरूरतें
हमारी डाइट में "एवरेज" पोषण तो हो सकता है, लेकिन कुछ स्थितियों में शरीर को ज्यादा चाहिए होता है:
गर्भावस्था: आयरन, फोलिक एसिड और कैल्शियम की मांग बढ़ जाती है।
बीमारी या सर्जरी के बाद: प्रोटीन और जिंक जैसे तत्वों की जरूरत बढ़ती है।
एथलीट्स: उन्हें सामान्य लोगों से 30% ज्यादा मैग्नीशियम और पोटैशियम चाहिए होता है।
पोषण की कमी को कैसे पहचानें?
ये संकेत दिखें तो सतर्क हो जाएँ:
थकान, बाल झड़ना, नाखून टूटना (आयरन या प्रोटीन की कमी)।
मसूड़ों से खून आना (विटामिन C की कमी)।
हड्डियों में दर्द (विटामिन D या कैल्शियम की कमी)।
समाधान: पोषण गैप्स को कैसे भरें?
डाइट पर ध्यान दें: हरी पत्तेदार सब्जियाँ, दालें, नट्स, अंडे और दही को डेली डाइट में शामिल करें।
सही कुकिंग तकनीक: सब्जियों को भाप में पकाएँ या कच्चा सलाद खाएँ।
सप्लीमेंट्स स्मार्टली लें: ब्लड टेस्ट करवाकर डॉक्टर या न्यूट्रिशनिस्ट की सलाह से ही चुनें।
गट हेल्थ ठीक रखें: प्रोबायोटिक्स (दही, किमची) और फाइबर युक्त आहार लें।
जीवनशैली बदलें: 7-8 घंटे की नींद, ध्यान (मेडिटेशन) और रोजाना 30 मिनट एक्सरसाइज जरूर करें।
अंतिम सुझाव
"सब कुछ खाना" जरूरी नहीं, "सही चीजें सही तरीके से खाना" जरूरी है। याद रखें, कोई भी सप्लीमेंट प्राकृतिक आहार की जगह नहीं ले सकता। अगर आपको लगता है कि आपमें पोषण की कमी है, तो किसी एक्सपर्ट से सलाह लेने में हिचकिचाएँ नहीं!
पोषण का ख्याल रखें, स्वस्थ रहें! 🌿
– न्यूट्रिशनिस्ट शिवानी
नोट: यह ब्लॉग सामान्य जानकारी के लिए है। किसी स्वास्थ्य समस्या के लिए डॉक्टर या न्यूट्रिशनिस्ट से सलाह जरूर लें।