खाद्य सुरक्षा, गरीबी उन्मूलन एवं स्वस्थ समाज: एक समग्र दृष्टिकोण

गरीबों को सशक्त कर दिया जाए तो वे स्वयं गरीबी से बाहर आ जाएँगे।" यह खाद्य सुरक्षा स्मार्ट कार्ड प्रणाली (FSSCS) इसी सिद्धांत पर कार्य करती है। यह न केवल भोजन उपलब्ध कराएगी, बल्कि गरिमा, विकल्प और स्वास्थ्य की गारंटी देगी। चयन की स्वतंत्रता से समानता बढ़ेगी, जीवन स्तर में सुधार होगा और मानव कल्याण का संवर्धन होगा।

MOTIVATIONAWARENESS

Nutritionist Shivani

8/15/20251 min read

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खाद्य सुरक्षा, गरीबी उन्मूलन एवं स्वस्थ समाज: एक समग्र दृष्टिकोण

आजादी के सात दशक बाद भी, देश के बहुत से नागरिकों को न्यूनतम जीवन-निर्वाह स्तर से भी ऊपर उठकर, जीवन-निर्वाह के साथ बचत की संभावना प्रदान करने वाले स्तर की आवश्यकता है। मानव जीवन में सर्वांगीण सुधार अनिवार्य है।

वर्तमान में, सरकार निर्धनता की पहचान मासिक प्रति व्यक्ति उपभोग व्यय (MPCE) – ग्रामीण क्षेत्र में 447 रुपये (2400 कैलोरी) तथा शहरी क्षेत्र में 579 रुपये (2100 कैलोरी) – के आधार पर करती है। किंतु, जेब में रखा पैसा हमेशा उन सभी वस्तुओं और सेवाओं की गारंटी नहीं देता जो एक सम्मानजनक जीवन स्तर के लिए आवश्यक हैं। वास्तव में, जीवन की कई आवश्यकताओं को पूरा करने का सर्वोत्तम तरीका इन वस्तुओं और सेवाओं को सामुदायिक रूप से सुलभ बनाना है। विश्व बैंक के शब्दों में: "किसी को उसके कल्याण से वंचित रखना भी गरीबी का एक रूप है।"

भारत में अन्नपूर्णा (1997), अंत्योदय अन्न योजना (2000), जननी सुरक्षा योजना (2008), और खाद्य सुरक्षा अधिनियम (2013) जैसी कई योजनाएँ लागू हैं। किंतु प्रश्न यह है: क्या ये योजनाएँ लाभार्थियों की वास्तविक आवश्यकताओं के अनुरूप हैं? क्या सभी लाभार्थी इन सेवाओं का लाभ उठा पाने में सक्षम हैं?

इन योजनाओं में अक्सर समान व सुगम पहुँच का अभाव रहा है। सेवाओं तक पहुँचने के लिए आवश्यक जागरूकता, क्षमता, विकल्प और आवश्यकतानुसार स्व-चयन की सुविधा नहीं थी। निर्धनता की गहराई के मुकाबले आवंटित संसाधन भी अपर्याप्त रहे हैं।

वर्तमान सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) देश की लगभग 75% ग्रामीण और 50% शहरी आबादी को कवर करती है। किंतु, भारत की भौगोलिक, सांस्कृतिक, क्षेत्रीय और सामाजिक विविधताओं के कारण सभी की जरूरतें अलग-अलग हैं। फिर भी, अधिकांश योजनाओं में विकल्प या चयन की सुविधा नहीं है – "सरकार जो दे, वह लेना ही है।" पारदर्शिता के अभाव और भ्रष्टाचार की समस्या व्यापक है।

उदाहरण के लिए, सरकार गेहूँ देती है, परंतु प्रत्येक परिवार को हर बार गेहूँ की आवश्यकता नहीं होती। छोटे किसान या फुटकर विक्रेता, जो स्वयं अनाज उपजाते या बेचते हैं, उन्हें अन्य खाद्यान्नों (जैसे दालें, तेल) की आवश्यकता हो सकती है। जब उन्हें अनावश्यक वस्तुएँ रियायती दर पर मिलती हैं, तो वे अक्सर उन्हें बाजार भाव से कम दाम पर बेच देते हैं, जिससे उन्हें लाभ तो होता है किंतु सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग होता है और वास्तविक खाद्य सुरक्षा प्रभावित होती है।

समाधान: खाद्य सुरक्षा स्मार्ट कार्ड प्रणाली (Food Security Smart Card System - FSSCS)

उपरोक्त चुनौतियों के समाधान हेतु, हम एक बहु-आयामी खाद्य सुरक्षा स्मार्ट कार्ड प्रणाली प्रस्तावित करते हैं। यह आधार कार्ड और बैंक खाते से जुड़ा एक ई-कार्ड (ATM/डेबिट कार्ड की तरह) होगा, जिसका निश्चित अवधि के बाद नवीनीकरण (Renewal) आवश्यक होगा। यह प्रणाली चार प्रकार के कार्ड प्रदान करेगी, जिनका चयन लाभार्थी अपनी विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुसार कर सकेंगे:

  1. अनाज कार्ड (Anaj Card):

    • विकल्प: गेहूँ, आटा, बेसन, चावल, विभिन्न दालें, चीनी, तेल, नमक, मसाले आदि आवश्यक खाद्यान्नों की सूची से चयन की स्वतंत्रता।

    • मात्रा एवं मूल्य: सीमित मात्रा में निर्धारित वस्तुएँ रियायती मूल्य पर उपलब्ध।

    • वितरण आवृत्ति: साप्ताहिक या मासिक राशन के बीच चयन का विकल्प।

    • पैकेजिंग: विभिन्न आकारों में (जैसे 10 किग्रा, 5 किग्रा, 2.5 किग्रा) पूर्व-पैक्ड विकल्प।

    • वितरण तंत्र: पारंपरिक राशन दुकानों के साथ-साथ ऑनलाइन डिलीवरी प्लेटफॉर्म्स (जैसे Big Basket) को भी शामिल करने की संभावना।

  2. डेबिट कार्ड (Debit Card):

    • कार्यप्रणाली: बैंक खाते में सीधे राशि का हस्तांतरण (नकद नहीं), जिससे दुरुपयोग रोका जा सके।

    • उपयोग: विशेष रूप से चिन्हित सरकारी/अधिकृत निजी दुकानों पर कार्ड स्वाइप द्वारा भुगतान।

    • उद्देश्य: खाद्यान्न के अलावा, दवाएँ, पोषक आहार, शैक्षणिक सामग्री, किताबें आदि आवश्यक वस्तुओं की खरीदारी के लिए।

    • नियंत्रण: खरीदारी की सीमा (मासिक/साप्ताहिक) और खरीदे जा सकने वाले उत्पादों की श्रेणी पर नियंत्रण।

  3. टिफिन कार्ड (Tiffin Card):

    • सेवा: प्रतिदिन न्यूनतम मूल्य पर पका-पकाया, पौष्टिक भोजन। लाभार्थी प्रतिदिन दोनों समय या केवल एक समय के भोजन का चयन कर सकेंगे।

    • विकल्प: शाकाहारी या मांसाहारी भोजन का विकल्प। पूर्व-निर्धारित साप्ताहिक मेन्यू।

    • आपूर्तिकर्ता: स्थानीय स्तर पर मेगा किचन, रेस्तरां, छोटे हलवाइयों को पारदर्शी टेंडर प्रक्रिया के माध्यम से चयनित किया जाएगा।

    • गुणवत्ता आश्वासन: भोजन की गुणवत्ता, पोषण मूल्य (कैलोरी, प्रोटीन आदि), सफाई और सुरक्षा के कड़े मानक निर्धारित। लापरवाही पर भारी जुर्माना/टेंडर रद्द होने का प्रावधान।

    • डिजिटल ट्रैकिंग: भोजन वितरण और प्राप्ति का पूर्ण डिजिटल लेखा-जोखा।

    • स्थानीयकरण: गाँवों, दुर्गम ब्लॉकों और पिछड़े क्षेत्रों में विशेष रूप से स्थापित मेगा किचन/मानकों के अनुरूप छोटे भोजनालय। स्थानीय लोगों को रोजगार में वरीयता।

    • क्षमता: प्रत्येक आपूर्तिकर्ता स्वयं निर्धारित करेगा कि वह कितने लाभार्थियों को भोजन पहुँचाने में सक्षम है। स्कूलों की रसोई का उपयोग नहीं किया जाएगा।

  4. पोषण कार्ड (Poshan Card):

    • लक्ष्य: विशिष्ट पोषण आवश्यकताओं वाले व्यक्तियों के लिए (जैसे गर्भवती महिलाएँ, शिशु, वृद्धजन, असाध्य रोगी, दिव्यांगजन, मानसिक रोगी)।

    • सेवाएँ:

      • दवाएँ: कैल्शियम, आयरन, विटामिन, डॉक्टर द्वारा निर्देशित दवाएँ, ग्लूकोज, इलेक्ट्राल आदि।

      • पूरक आहार: फल, सब्जियाँ, दूध, अंडे, सोयाबीन, देशी घी, उच्च कैलोरी/प्रोटीन युक्त आहार, प्रोटीन शेक आदि।

      • स्वास्थ्य सेवाएँ: डॉक्टर परामर्श, मेडिकल सुविधाएँ, फिजियोथेरेपी, योग सत्र, केयरटेकर (आशा कार्यकर्ता, नर्स), टीकाकरण, व्हीलचेयर जैसे सहायक उपकरण।

    • डिलीवरी: निकटतम मेडिकल स्टोर, अस्पताल या सेवा प्रदाता से मोबाइल ऐप के माध्यम से घर पर वितरण/सेवा की व्यवस्था।

    • संयोजन: कोई भी अनाज कार्ड, डेबिट कार्ड या टिफिन कार्ड धारक, यदि पात्र है, तो अतिरिक्त पोषण कार्ड भी प्राप्त कर सकता है।

पात्रता निर्धारण एवं लाभ वितरण:

  • बहुआयामी मापदंड: निर्धनता एवं जीवन स्तर का आकलन केवल आय के बजाय व्यापक मापदंडों पर किया जाएगा:

    • सामाजिक-आर्थिक समूह: जाति/जनजाति, लिंग (विशेषकर महिला प्रधान परिवार, विधवाएँ)।

    • भौगोलिक स्थिति: ग्रामीण/शहरी, पहाड़ी/दुर्गम, पिछड़ा/नक्सल प्रभावित क्षेत्र।

    • आय का स्रोत व स्थिरता: छोटे/सीमांत किसान, भूमिहीन मजदूर, पारंपरिक दस्तकार, अनियमित/मौसमी श्रमिक, कुशल/अकुशल सेवा प्रदाता।

    • आश्रितता की स्थिति: शिशु/अवयस्क, वृद्धजन, असहाय/अकुशल व्यक्ति।

    • निवास स्थिति: स्थायी/अस्थायी, प्रवासी श्रमिक।

    • स्वास्थ्य स्थिति: असाध्य रोग, मानसिक रोग, पूर्ण/आंशिक दिव्यांगता।

    • शैक्षणिक/कौशल स्तर: शिक्षित/अशिक्षित, कुशल/अकुशल।

  • स्व-घोषणा एवं सत्यापन: लाभार्थी एक मोबाइल ऐप के माध्यम से अपना विवरण देंगे, जिसकी सत्यता की जाँच की जाएगी।

  • स्कोरिंग प्रणाली: विभिन्न मापदंडों पर धनात्मक/ऋणात्मक अंकन द्वारा एक समग्र स्कोर तैयार किया जाएगा।

  • कार्ड विकल्पों का सुझाव: इस स्कोर के आधार पर ऐप स्वचालित रूप से व्यक्ति के लिए उपलब्ध कार्ड विकल्पों की सिफारिश करेगा। पात्र व्यक्ति अपनी आवश्यकता के अनुसार इनमें से चयन करेगा।

  • योजना एकीकरण: यह प्रणाली मौजूदा अन्य सरकारी योजनाओं (पेंशन, नकद हस्तांतरण आदि) से भी जुड़ेगी और लाभार्थी को उन सभी योजनाओं के बारे में सूचित करेगी जिनके वे पात्र हैं।

लाभ एवं प्रभाव:

  1. विकल्प एवं सशक्तिकरण: लाभार्थियों को उनकी विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुसार चयन की स्वतंत्रता मिलेगी। यह उन्हें गरीबी से लड़ने की ताकत देगा।

  2. समावेशन: ग्रामीण, शहरी, दुर्गम क्षेत्र, प्रवासी, वृद्ध, दिव्यांग, बीमार – सभी वर्गों तक पहुँच सुनिश्चित होगी।

  3. पारदर्शिता एवं भ्रष्टाचार नियंत्रण: डिजिटल लेनदेन और ट्रैकिंग से पारदर्शिता बढ़ेगी और रिसाव व भ्रष्टाचार पर अंकुश लगेगा।

  4. पोषण एवं स्वास्थ्य सुरक्षा: विशेष रूप से पोषण कार्ड और टिफिन कार्ड से कुपोषण, विशेषकर उन लोगों में जो भोजन पकाने में असमर्थ हैं, से निपटने में मदद मिलेगी। स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच सुधरेगी।

  5. स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा: टिफिन कार्ड के लिए स्थानीय रसोइयों, भोजनालयों और मेगा किचन को टेंडर दिए जाने से स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन होगा।

  6. लचीलापन: आपदा या आपात स्थिति में कार्ड के माध्यम से शीघ्र राहत पहुँचाना आसान होगा। आवश्यकता परिवर्तन के अनुसार कार्ड प्रकार बदला जा सकेगा (वैध कारणों के साथ)।

  7. सटीक डेटा एवं नीति निर्माण: व्यापक डेटा संग्रह से सरकार को लोगों के जीवन स्तर का सही आकलन करने और भविष्य की नीतियाँ बनाने में मदद मिलेगी।

निष्कर्ष:

"गरीबों को सशक्त कर दिया जाए तो वे स्वयं गरीबी से बाहर आ जाएँगे।" यह खाद्य सुरक्षा स्मार्ट कार्ड प्रणाली (FSSCS) इसी सिद्धांत पर कार्य करती है। यह न केवल भोजन उपलब्ध कराएगी, बल्कि गरिमा, विकल्प और स्वास्थ्य की गारंटी देगी। चयन की स्वतंत्रता से समानता बढ़ेगी, जीवन स्तर में सुधार होगा और मानव कल्याण का संवर्धन होगा। एक सुदीर्घ, स्वस्थ जीवन से युक्त नागरिक ही एक स्वस्थ और विकसित भारत का निर्माण कर सकते हैं। यह प्रणाली गरीबी उन्मूलन और सही अर्थों में खाद्य सुरक्षा प्रदान करने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम साबित हो सकती है।

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